"विवेक और न्याय की आकांक्षा कभी ख़त्म नहीं होते।" उदय प्रकाश की सबसे प्रसिद्ध कहानी 'मोहनदास' का स्मृति पर आधारित एक वाक्य।
यह बुरे दिनों में काम आनेवाली बात है। यदि आप चाहें तो इस वाक्य के आगे प्रेमचंद की अमर कहानी 'पंच परमेश्वर' का एक संवाद लिख सकते हैं "क्या बिगाड़ के डर से ईमान की बात न कहोगे?"
'पंच परमेश्वर' और 'मोहनदास' इन दो कहानियों में भारत की जिजीविषा है। एक ऐसा महादेश जो हमेशा से अमिट रहा है। जिसकी धरती में लाभ, लोभ, अलगाव की राजनीति करनेवाले थोड़ी कूद फांद के बाद मिट गए।
अंत में एक बात और जो थोड़ी कोशिश करके समझी जा सकती है। 'पंच परमेश्वर' की बूढी खाला ही हम सबकी भारत माता हैं।
शशिभूषण
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