रंग, शब्द और कला का अपनी तरह का अकेला साधक। विनम्रता, दृढ़ता और आत्म सम्मान की अपनी मिसाल आप।
जिन्होंने नहीं जाना, नहीं सुना, नहीं देखा, नहीं पढ़ पाये उनकी बात अलग और स्वाभाविक है पर जो जानते हैं उनके मुंह से यही सुना प्रभु जोशी जीनियस हैं।
प्रभु जोशी, परिश्रम में अद्वितीय हैं। जितने प्रकाशित और पुरस्कृत हैं उसके कई गुना अप्रकाशित और अनजाने हैं।
अपने यहाँ ऐसा दौर है जब पंचवर्षीय ख्याति से भी उतरकर प्रतिभाएं साल छह महीने की स्टार होती हैं तब प्रभु जोशी अनेक दशक से सृजनरत हैं।
इन दिनों सुखद यह है कि वे अपने अधूरे उपन्यास और कुछ किताबों को अंतिम रूप देने में लगे हैं। कदाचित पेंटिंग से अवकाश लेकर भाषा में कुछ अधूरे वादे पूरे कर रहे हैं।
प्रभु जोशी जी को बहुत अच्छा स्वास्थ्य और अनंत रचनात्मक दिन मिलें। मेरी ओर से हार्दिक बधाई और अशेष शुभकामनाओं सहित प्रस्तुत है उनका एक पुराना दस्तावेज़ी लेख, ताकि सनद रहे वक़्त पर काम आवे
इसलिए विदा करना चाहते हैं हिन्दी को हिन्दी के कुछ अख़बार / प्रभु जोशी - Gadya Kosh - हिन्दी कहानियाँ, लेख, लघुकथाएँ, निबन्ध, नाटक, कहानी, गद्य, आलोचना, उपन्यास, बाल कथाएँ, प्रेरक कथाएँ, गद्य कोश
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