शनिवार, 24 दिसंबर 2016

मैं जो भी हूँ 'गुलाल' से हूँ - पियूष मिश्र , इंदौर लिट्रेचर फेस्टिवल 17 दिसंबर 2016

गीतकार, गायक, अभिनेता, रंगकर्मी पियूष मिश्र को सुनना उनसे सवाल पूछना और बाद में कुछ बातचीत कर पाना कल के दिन की ख़ास उपलब्धि रहीं।

सुबह जब सत्र शुरू हुआ तो लोग नहीं आये थे। पियूष जी मंच पर अपनी कुर्सी ख़ुद खींचकर बैठ गए और प्रवीण शर्मा जी, आयोजक से बोले- जब तक लोग नहीं आते हम सामने मौजूद लोगों से बातचीत शुरू करते हैं। उन्होंने सामने मौजूद लगभग सारे युवाओं से ही कहा- आगे आ जाओ। शुरू करते हैं। गाना मैं सुनाऊंगा लेकिन तब तक बात करते हैं। पूछो।

पहला सवाल मैंने पूछा -आप जेएनयू के बारे में क्या सोचते हैं? पियूष जी ने जवाब दिया- देखो मेरा आईक्यू लेवल जेएनयू के लेवल का नहीं है। मैं जेएनयू को नहीं समझ पाता। मैं लेफ्टिस्ट नहीं हूँ। नास्तिक नहीं हूँ। मैं आस्तिक हूँ। भगवान को मानता हूँ। लेफ्टिस्ट होने के लिए नास्तिक होना ज़रूरी है। मैं आस्तिक हूँ।

फिर सवाल शुरू हुए। जिनमें पियूष जी की नशाखोरी, प्रेम, सफलताओं और भावी योजनाओं से जुड़ी बातें मुख्य रहीं। इन्ही बातों के दौरान उनकी कुछ यादगार बातें ये रहीं-

1 नशा एक बीमारी है। कब गिरफ़्त में ले ले पता नहीं चलता। नशे में आप चार पैग में वो सब कर डालते हैं जो होश में जीवनभर न कर पाएं। एक बार तो मैंने पहले पैग में स्क्रिप्ट लिखना शुरू किया चौथे पैग में फ़िल्म को ऑस्कर मिल गया। लेकिन मैं लुढ़क चुका था। सुबह देखा काग़ज़ पर एक शब्द नहीं लिखा गया था। नशे ने मुझे बहुत तबाह किया। मैं बहुत बार गिरा उठा। अब विपश्यना करता हूँ। योग करता हूँ। सम्हल चुका हूँ। इसी से झेल सकने लायक हूँ। वरना मेरा ईगो। बाप रे। मैं मैं मैं, मेरा काम, सिर्फ़ मैं, मेरा काम होता था। लोग मेरे सामने बैठ नहीं पाते थे। विनम्र बनकर ही खूबियों को अर्जित किया जा सकता है। दूसरों का काम दिखता है। अब मैं बहुत ठीक हूँ। मुझे लोग अच्छे लगते हैं।

2 मैं जो भी हूँ। गुलाल की वजह से हूँ। अनुराग कश्यप की वजह से हूँ। लेकिन उसने रमन राघव में जो किया वह सत्यानाश है! मैंने कहा ये क्या किया? वह बोला इसमें मेरे मन का सब काला, गंदगी निकल गये। अब साफ़ सुथरी फ़िल्म बनाऊंगा।

3 अभिनय स्कूल आपको अनुशासन सिखाते हैं। लेकिन पैशन वह आप खुद सीखते हैं। मैंने यह अमिताभ बच्चन में देखा, उनसे सीखा। पिंक में जब मुझे काम करने को मिला तो मैं अमिताभ जी की रिहर्सल से दंग रह गया। मैं मानता था मुझसे अधिक रिहर्सल कोई नहीं कर सकता। अमिताभ जी को देखा तो जाना इतनी रिहर्सल मैं नहीं कर सकता। वे बहुत सज्जन हैं। सेट पर पूरी तरह डूबकर मौजूद होते हैं। इस उम्र में नाचकर दिखाते हैं। इतनी मेहनत। बहुत है। मैंने उनसे पैशन सीखा। वे पिंक के दौरान लड़के लड़कियों को अपनी कार में घर ले जाते, खूब घुलते मिलते। यह यदि 45 साल से नकली भी है तो मैं इस नकली जीवन को जीना चाहूंगा।

4 अपवाद छोड़ दें तो आज के पैरेंट जल्लाद हैं। वे जो बनाना चाहते हैं बच्चे उसमें घुटकर रह जाते हैं। आप को मालूम नहीं क्या-क्या करियर है और आप गिने-चुने लक्ष्य में जोत देते हैं। क्या आपको मालूम है कि कोई केवल बाल काटकर, सैलून से अपनी पहचान बना सकता है? मेकअप के काम में कितना सम्मान और आत्मनिर्भरता है? मुझसे लोग पूछते हैं सिनेमा में क्यों चले गए? थियेटर में रहते। मैं कहता हूँ जब मैं थियेटर में था पूछा किसी ने मैं क्यों आया? मैं अपनी मर्ज़ी से हूँ जहाँ भी हूँ। अपने मन का कीजिए।

5 मेरे उम्मीद नरेंद्र मोदी से थी। मैं उन्हें नेताओं में पसंद करता हूँ। मुझे लगा था कुछ होगा। नोटबंदी से लगा बात होगी। लेकिन अब जो देख रहा हूँ। गरीब परेशान हैं। बच्चे परेशां हैं। लोग मर रहे हैं। दिल कहता है ये हो क्या रहा है? यह नहीं होना था। तो अब मेरा उनसे भी यानी मोदी जी से भी हो चुका है। अब ख़त्म ही हो चुका है भरोसा। अब और उम्मीद नहीं लगती। बस ही है अब। बहुत हुआ।
6 ये मेरे असिस्टेंट हैं। इनके बिना मेरा कार्यक्रम नहीं हो सकता। लेकिन इनका नाम सुनेंगे आप तो इनपर से आपका भरोसा उठ जायेगा। नाम है राहुल गांधी।

और बहुत सी बातें हैं जो ज़ेहन में हैं; जिन्हें यहाँ दर्ज करने में अधिक विस्तार हो जाने का खतरा है। पियूष मिश्र ने अपने कई गीत सुनाए। इक बग़ल में चाँद होगा, गणेश वंदना आदि। उन्होंने एक बच्ची पर कविता भी सुनाई जिसका आशय था अंकल मत आया करो मुझे डर लगता है।

पियूष मिश्र के ठीक बाद साहित्य का सत्र शुरू हुआ जिसे प्रभु जोशी मॉडरेट कर रहे थे। आप तस्वीर में देख सकते हैं पियूष जी किस तरह लोगों को बिठा रहे हैं।

भोजनावकाश में मुझे भी पियूष जी से बात करने का मौका मिला। मैं कहानीकार वंदना राग, उपन्यासकार महुआ माजी और निर्मला भुराड़िया जी के साथ बैठा था। बातें हो रहीं थी कि पियूष जी आये। वंदना जी और महुआ जी को देख बैठ गए। उनका खाना हुआ और साथ में बातें हुईं। गीत इक बग़ल में चाँद...फ़िल्म रिवाल्वर रानी के चरित्र और पिंक के संवादों को लेकर। पियूष जी ने माना कि रिवाल्वर रानी में मैंने अच्छे से अभिनय किया है।

इसके बाद नए सत्र शुरू हुए। पियूष जी अलग-अलग जगहों में हो रहे सब सत्रों में आये-गए। अरुण कमल और लीलाधर जगूड़ी, सरोज कुमार के गीत संबंधी सत्र में उन्होंने सवाल भी पूछा और गीतकार मनोज मुन्तशिर ने अपने सत्र में मंच से पियूष जी को नमस्कार किया।
कुल मिलाकर पियूष जी से जो लगाव था वह असहमति के बावजूद अब बहुत गाढ़ा हो चुका है। मेरा मानना है पियूष मिश्र जैसे कलाकार विरल होते हैं। उनके जैसे कलाकार बैसाखी के सहारे आये नहीं होते। उनमें जो अपना होता है वह बहुत तीखा और असहज कर देनेवाला होने के बावजूद आपके सर चढ़कर बोलता है। पियूष जी ने अपनी जो जगह बनाई है वह ज़मीन ही उनकी थी। उसे कोई अपने नाम नहीं करा सकता था। उनका क्षेत्रफल बढ़ता रहे ऐसी दिली कामना करता हूँ।

शशिभूषण

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