संसद में विमुद्रीकरण संबंधी बिल से कल नतीज़ा निकल आया. यदि काला धन आपने बताया तो वह आधा ही काला धन है. पहले 45 प्रतिशत था. अब भी वक़्त है आधा रखिये. आधा जमा कीजिये.
यदि आयकर विभाग ने पकड़ा तो 85 प्रतिशत काला धन मान लिया जायेगा. तब 15 प्रतिशत अपने पास रखिये. बाक़ी राजसात हो जायेगा.
कुछ वैसे कुछ हमारे आपके जैसे असल बिस्किट से दूर इसे 50-50 (फिफ्टी फिफ्टी) समाधान कह रहे हैं. उन्हें भी सुनिए. कीजिये हमेशा की तरह अपने मन का.
खैर, अब सवाल यह है कि सरकार का अधिक फ़ायदा किसमें है? मेरे ख़याल से आयकर विभाग द्वारा अधिक से अधिक पकड़ पाने में. आप भी यही सोचते हैं न?
फिर सवाल यह है कि आयकर विभाग का फायदा किसमें है? कहीं यह आयकर विभाग का ग्रीवांस रिड्रेसल तो नहीं थी सारी उठा पटक? आप गूंगे बहरे हो चले थे. धमाका करना पड़ा.
लोग तो लाइन में थे ही पहले बक़ौल प्रधानमंत्री मोदी जी यूरिया के लिए लाइन में लगे थे और अब नोट भंजाने के लिए लाइन में आ लगे हैं.
बिल से क्या खूब पुराना निल बटा सन्नाटा निकला है. श्रीलाल शुक्ल(राग दरबारी) बहुत पहले कह गए.
हर काम लाइन से करो. क्योंकि लाइन दिखती है. जो दिखती है वही तरक्की है. इसके आगे तुम्हें सोचने की ज़रूरत नहीं. उसके लिए दूसरे लोग हैं.
शशिभूषण
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