शुक्रवार, 26 अप्रैल 2024

विश्वकल्याण के नाम पर वर्चस्व

ब्रम्हांड में अनुमानतः सौ अरब आकाशगंगा हैं। एक आकाशगंगा में अनुमानतः सौ अरब तारे हैं। हमारी आकाशगंगा का नाम मिल्की वे है। मिल्की वे गैलेक्सी या आकाशगंगा में हम सौरमण्डल में रहते हैं। 

हमारे सौरमण्डल का प्रमुख सूर्य है। हम सौरमण्डल के एक ग्रह पृथ्वी में रहते हैं। पृथ्वी का जनक सूर्य है। सौरमण्डल में सूर्य का आकार इतना बड़ा है कि इसमें कई सौ पृथ्वी समा सकती हैं। सौरमण्डल से परे अन्य आकाशगंगाओं में कितने ही नक्षत्र हैं जो सूर्य से बहुत विशाल हैं। एक नक्षत्र तो ऐसा भी ज्ञात है जिसमें करोड़ों सूर्य समा सकते हैं। 

हम जिस ब्रम्हांड के जीव हैं वो ब्रम्हांड अनंत है। अनंत की परिकल्पना ही ब्रम्हांड से है। अनंत कहते ही ब्रम्हांड की गूँज सुनाई देती है। ब्रम्हांड की एक आकाशगंगा के एक सौरमण्डल में ही पृथ्वी के अतिरिक्त दूसरे कई ग्रह हैं जो पृथ्वी से बहुत बड़े हैं। इन ग्रहों के बारे में दावे के साथ नहीं कहा जा सकता कि वहाँ जीवन है या नहीं। है भी तो किस प्रकार का। 

हम जिस पृथ्वी में रहते हैं और बड़ा अल्प जीवन जी पाते हैं उसमें सैकड़ो देश हैं। सैकड़ों धर्म हैं। सैकड़ों सरकारें और हज़ारों भाषाएँ हैं। पृथ्वी का ही आकार इतना विशाल है कि मनुष्यों ने अगर वायुमार्ग जलमार्ग से यात्रा का साधन न खोज लिया होता तो आज तक हम इसके सभी हिस्सों में कभी पहुँच न पाते। अभी भी सभी हिस्सों में पहुँच पाने का दावा नहीं किया जा सकता। समुद्रों के विषय में तो कहा ही जाता है, अज्ञात दुनिया। 

इसे पृथ्वी का दुर्भाग्य नहीं तो और क्या कहेंगे कि यह सबकी जीवनदात्री है लेकिन इसकी औलाद आपस में ज़मीन, धन और राज के लिए लड़ती हैं। पृथ्वी के दो धर्म आपस में लड़ते हैं। पृथ्वी के दो देश आपस में लड़ते हैं। पृथ्वी पर एक ही देश में दो भाषाएँ बोलने वाले समुदाय आपस में लड़ते हैं। एक देश के एक प्रदेश के एक गाँव की दो जातियाँ एक दूसरे को नीच समझती हैं। 

क्या ब्रम्हांड को जानने का दावा करने वाले बता सकते हैं कि ब्रम्हांड का ईश्वर कौन है? इतनी दूर क्यों जाएँ क्या महाशासक या महाज्ञानी बता सकते हैं कि पृथ्वी का धर्म क्या है? पृथ्वी की भाषा कौन सी है? पृथ्वी की सबसे प्रिय संतान कौन सी है? मनुष्य या अमीबा? 

एक ही बात समझ में आती है, सारी श्रेष्ठताएँ, युद्ध और महाशासन विश्व कल्याण के नाम पर अक्सर वर्चस्व की ही तपस्या हैं। जबकि पृथ्वी पर, ब्रम्हांड में अस्तित्व ही महान है। शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व ही ब्रम्हांड का मूल और जीवन की अंतिम आकांक्षा है। 

ब्रम्हांड एक है। हम सब एक हैं। 

• शशिभूषण,

पृथ्वी मूल का भारतीय