रवीश जी,
हम आपकी मार्मिकता के कायल नहीं वो बात नहीं। अपन की नज़र में टोटल एक नंबर हैं आप। कोई भी, भेजा हो जिसमे, सवाल जवाब सुनकर फैन हो जायेगा आपका।
माँ कसम, अब आपको अपन इसलिए देखना छोड़ने की सोच रहे हैं कि फिर नींद आने में अड़चन आ जाती है। साला दिन भर साँस लेने को फुर्सत नहीं मिलती और नाइट में आप सबक पकड़ा देते हो।
नो डाउट, आप सॉलिड बोलते हो। सॉलिड इसलिए बोलते हो क्योंकि आपका मन साफ़ है। लेकिन एक बात है और इस बात को अपन समझते हैं तो आप भी ज़रूर जानते ही होंगे।
पॉइंट ये है डियर सर के उन्हें मेरा मतलब उनसे ही है को गांधी के उदाहरण से समझाना ऐसे ही है जैसे जीभ से मुंह का टेढ़ा दांत सीधा करना। वे दांत हैं सर। अपन जीभ।
गाँधी ने वकालत पढ़ी थी। फिर कइयों ने पढ़ी। अब हालात ये हैं कि काला कोट से डर लगता है। जिनने इसे उतार दिया है, खादी पहन ली उनसे और। अब उनकी अंतरात्मा ने पहन रखा है काला कोट।
प्लीज सर! सोच विचार के उदाहरण दिया करें। उनके हाथ में चिड़िया है। आप दावा कर रहे टीवी से कि ज़िन्दा है। वे दबा देंगे मुट्ठी क्या कल्लेगें आप?
मर जाएंगी वो। वैसे भी मरना ही है उसको। फिर भी! अब इस फिर भी का अपन को भी नहीं पता। आप समझ लेना।
एक ही बात बचती है अब सो उसे भी लिख देते हैं। पढ़ लेना। आपको देखने के बाद अपन बहन अंजना कश्यप को देखते हैं। देखना पड़ता है। गलती आपकी ही है। इस पर कुछ बोल नहीं सकते आप!
अंजना बहन कैसा भी बोलें दुखी नहीं करतीं। उनके जबड़े भिंचे रहते हैं, गले की नशे तनी रहती हैं, नाक फूली हुई। एकदम हल्ला बोल! अपन जुकाम में नहीं नहाते। हमला नहीं बोलते तो क्या। हल्ला बोल एंजॉय कर ही सकते हैं। आप जैसे एंकर होंगे तो थोड़ा तो रिलैक्स चाहिए के नहीं? चाहिए के नहीं??
थोड़े को बहुत समझना! एनडीटीवी इंडिया का फेसबुक के बाद का प्राइम टाइम दर्शक हूँ। कनेक्शन है अपन का आपसे। किस्मत कनेक्शन नहीं हार्ट कनेक्शन!
आपका ही फेथफुली
एक स्टेटस लेखक
शशिभूषण
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