शनिवार, 10 दिसंबर 2016

बॉब डिलन को नोबेल साहित्य को ही नोबेल सम्मान है



गुरुदेव रवींद्रनाथ ठाकुर को गीतांजलि के लिए साहित्य का नोबेल सम्मान मिल चुका है। जहाँ तक मुझे मालूम है इसमें गीत हैं। रवींद्रनाथ ठाकुर अपने संगीत के लिए भी उतने ही महान हैं।

ताज़ा नोबेल सम्मान की घोषणा ने गीत-संगीत-लोकप्रियता और मनोरंजन के बहाने साहित्य को सम्मानित कर दिया है। मैंने सम्मानित गायक-गीतकार-संगीतकार को सुना पढ़ा नहीं है। यह इससे भी पुष्ट है कि मुझे उनका नाम अभी भी याद नहीं आ रहा। मैं केवल इतना समझ सकता हूँ कि शब्द और संगीत सहोदर हैं।


मेरी जिज्ञासा केवल इतनी है कि क्या यह सचमुच पहली बार है? भारत में कबीर के बारे में भी कहा जाता है कि वे पढ़े-लिखे नहीं थे। साखी, सबद, रमैनी गाते थे। वे लोकप्रिय थे। उनका अपना संगीत था। जब मैं कुमार गन्धर्व को सुनता हूँ तो पहला ख़याल यही आता है कबीर ऐसे ही गाते होंगे।

तुकाराम हों या मीरा अधिकांश भक्ति और संत साहित्य बाक़ायदा गाया जाता रहा है। उसकी गरिमा और महिमा पढ़ने और गाने में बराबर की है। याद आते हैं गुरुदेव रवींद्र 'अंतर्मन मम विकसित करो हे...'

शशिभूषण

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