बुधवार, 15 मार्च 2017

लौटना

मुंह पर कभी कुछ नहीं कहा
हमेशा बड़े सौजन्य से पेश आये
लेकिन गांधी को गाली दी कि नहीं?
अच्छी किताब को गन्दा कहा या नहीं?
निर्दोष के लिए चुपाई साध गये कि नहीं?
सोये कूकुर को पत्थर मारा था कि नहीं?
भिखारी को रुपये की जगह उपदेश दे दिया
हँसते खेलते बच्चे को गाल नोच रुलाया
सीधे सीधे चोट नहीं पहुंचाई सही है
जब गालियां ओट लेकर पड़ती हैं
तब हिंसा मुस्कुराकर आती है
अगर ख़याल नहीं रखते
तो नफ़रत नहीं करते
क्रूरता तभी जाती है
जब लौटता है प्रेम

-शशिभूषण

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