शुक्रवार, 17 जून 2016

राज्यसभा टीवी पर विश्वनाथ सचदेव



आज राज्यसभा टीवी पर प्रसिद्ध पत्रकार, लेखक और संपादक विश्वनाथ सचदेव का पत्रकार-संपादक आलोक मेहता द्वारा लिया गया साक्षात्कार देखा। बहुत से पुराने, ज़रूरी प्रसंगों और बातों का जानना हुआ।

आलोक जी ने बहुत अच्छे से विश्वनाथ जी की वरिष्ठता का पूरा खयाल रखते हुए असुविधाजनक सवाल भी पूछे। एक सवाल जिसके जवाब अलग-अलग समय में हम सुनते रहते हैं यह था-

आलोक जी ने विश्वनाथ जी से पूछा -कुछ संपादक कहते हैं कि हमारे ऊपर मालिक का दवाब नहीं रहा, मालिकों ने कभी हमें निर्देशित नहीं किया। आपका क्या अनुभव था?


विश्वनाथ जी ने जवाब दिया- मालिक जब संपादक नियुक्त करते हैं तो वे संपादक की क़ाबिलियत जानकर रखते हैं। मालिक को यह मालुम होता है कि संपादक यह समझने में ग़लती नहीं करेगा कि कौन सी बात मालिक के हित में है, किस बात से मालिक का हित सधता है।

साक्षात्कार में और भी अच्छे, विचारणीय प्रसंग थे। विश्वनाथ सचदेव बहुत पुराने और सफल संपादकों में से एक हैं। टाईम्स ऑफ़ इंडिया से पत्रकारिता की शुरुआत कर नवभारत टाईम्स और धर्मयुग का संपादन कर चुके हैं। फिलहाल साहित्यिक पत्रिका नवनीत के संपादक हैं। आलोक मेहता से भी शायद ही कोई अनजान हो।

सुबह का असर कहिए आज शाम को बुकस्टॉल के पास से गुज़रा तो नवनीत का जून अंक ले आया। पत्रिका अच्छी लगी। बहुत सी ज़रूर पढ़ने लायक चीज़ें हैं।

कुल मिलाकर कभी-कभी राज्य सभा टीवी देखना अच्छा लगता है। नाहक चिल्ल पों नहीं होती। सीधे-सादे ढंग से बनाये गये कार्यक्रम अच्छे अनुभव दे जाते हैं।




-शशिभूषण

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