शुक्रवार, 17 जून 2016

दिलीप मंडल



आप दिलीप मंडल की आलोचना क्यों नहीं करते?
मुझे लगता है उनकी तार्किक बातों से मेरे कारण कोई एक भी विमुख हुआ तो यह नुकसान होगा।

ऐसा भी तो हो सकता है आप क्या खाकर उनकी आलोचना करेंगे? कहाँ वो कहाँ आप!
नहीं यह बात नहीं भूखे को भोजन का आनंद अधिक आता है।


यह भी तो हो सकता है उनकी बातें अकाट्य हों?
हर किस्म की बात काटी जा सकती है। बात कर सकनेवाले पर वार करना ठीक बात नहीं।

ये कहिये आप भी दिलीप मंडल के भक्त हैं
मैं उनके तर्कों का अक्सर मुरीद हूँ

दिलीप मंडल के बारे में कुछ तो कह सकते हैं?
मुझे एक ही बात कहनी है। अपने नायक खड़ा करने के लिए दूसरों के नायकों का सर काटने दौड़ते रहना ठीक बात नहीं तब जबकि आप बौद्धिक मोर्चे पर हों।

यह क्या बात हुई जब तक पुराने हटेंगे नहीं नए कैसे आएंगे?
मेरी राय में नए नायकों का स्वागत पुराने नायकों की लाश बिछाकर करना शिक्षक का काम नहीं है।

आप दिलीप मंडल को शिक्षक मानते हैं?
शिक्षक तो वे हैं ही। सावित्री बाई को आगे रखकर बात करना किसी शिक्षक की ही ज़िद होगी

दिलीप मंडल राजनीतिक कार्यकर्त्ता नहीं हैं?
अम्बेडकर का अनुयायी अराजनीतिक कैसे होगा

वे पत्रकार नहीं हैं?
पत्रकारिता उनकी खूबी है

आप अपेक्षा करते हैं कि दिलीप मंडल आपसे सहमत होंगे?
नहीं मैं अपेक्षा नहीं करता। वे मुझसे बड़े हैं।

कैसे बड़े हैं?
वे नायक बदलने के अभियान में हैं
मैं बच्चों को पढ़ाता हूँ

लेकिन हैं तो आप दोनों ही शिक्षक?
शिक्षकों में भी बड़े छोटे होते हैं

कैसे?
जो सब शिक्षकों को संगठित कर एक जगह ला पाये वह कोई विरला होता है। ऐसे वरिष्ठ शिक्षक के साथ शिक्षक समान होते हैं

कोई उदाहरण दीजिये
दिलीप मंडल ने आज ही ध्यान दिलाया है जवाहर लाल नेहरू जनेऊधारी हैं

इसमें गलत क्या है? फ़ोटो है उनके पास।
यही तो बात है। फ़ोटो का सहारा लेना पर्याप्त नहीं

क्यों क्या फ़ोटो सच नहीं कह सकते?
काफ़ी नहीं होते। कल दिलीप जी के फ़ोटो भी इण्डिया टुडे के साथ होंगे। उन्हें इण्डिया टुडे में लानेवाले आज कहाँ हैं?

क्या इण्डिया टुडे ख़राब है
यह भी जनेऊ जैसा ही है



-शशिभूषण

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