सोमवार, 27 मई 2019

लोग अंगूठा लगाकर विश्व गुरुओं की सरकार चुनते हैं


इसे कहानी में लिखूंगा तो शायद आप मानेंगे नहीं इसलिए सीधे सीधे एक अनुभव कहता हूँ ताकि आप सवाल जवाब भी कर सकें।

मैं पीठासीन अधिकारी था। इस बार मतदान हेतु बीएलओ पर्ची मान्य नहीं थी। एक दिन पहले ही एजेंट से अनुरोध कर लिया था बीएलओ पर्ची से वोट नहीं पड़ पायेगा। किसी हाल में नहीं। लेकिन अगले दिन मतदाता आधार कार्ड और वोटर कार्ड आदि के साथ बीएलओ पर्ची भी ला रहे थे।

यह बीएलओ पर्ची तब परेशानी और डर का सबब बन गयी जब कुछ बुजुर्ग मतदाता जिनमें अधिकांश महिलाएं थीं स्याही लगवाने, मतदान अधिकारी 3 द्वारा बैलेट इश्यू करने के बाद हाथ में लिए लिए बूथ में जाते और इसे कहीं डालना चाहते। चूंकि बैलेट यूनिट में कहीं से कुछ डाला नहीं जा सकता तो ये उसे वीवीपीएटी में डालना चाहते।

एक दो बार तो मुझे अपनी जान सूखती सी लगी। मेरी प्रार्थना थी कि यह मशीन 6 बजे तक ऐसी ही चलती रहे। मतदान सम्पन्न हो जाये। लेकिन यह नई समस्या थी। मैं बूथ पर नहीं जा सकता था। मतदाता के पीछे पीछे कोई दूसरा नहीं जा सकता था। एक को समझाओ भी तो दूसरा मतदाता नया होता। फिर क्या किया जाए ?

जैसे ही कोई बुजुर्ग मतदाता आता या आती मैं मतदान कक्ष के बीचोबीच दूसरे मतदान अधिकारी के सामने खड़ा हो जाता था। उनके हाथ से बीएलओ पर्ची और परिचय पत्र लेता था। विनती करता था- केवल बटन दबाना है और कुछ नहीं। उसके बाद मुझसे यह ले जाओ।

इतना ही होता तो गनीमत थी। कमाल तो तब हुआ जब मतदान समाप्ति के बाद वीवीपीएटी की बैटरी निकालने के लिए बैक साइड खोली तो उससे बीएलओ पर्ची निकली। शाम को 6 बजे रोने लायक जान न बचने के बावजूद मुझे जोर की हँसी आई। हम चारो हँस पड़े। मतदान समाप्त हो चुका था।

इसीलिए कहता हूं कि माई बाप जनता जनार्दन की खूब इज्जत कीजिये। उन्हें सर आंखों पर बिठाइए। लेकिन केवल इज्जत से और उनके जनादेश से कुछ खास नहीं होने वाला। भारत की जनता जनार्दन को शिक्षित करना पड़ेगा। उसे शिक्षित कीजिये। भारत में शिक्षा पहली ज़रूरत है।

यदि यह देश शिक्षा के लिए आगे नहीं आता तो जनादेश आदि की इज्ज़त का कोई अर्थ नहीं है। यह कितनी बड़ी त्रासदी है कि लोग अंगूठा लगाकर विश्व गुरुओं की सरकार चुनते हैं।

- शशिभूषण

2 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (29-05-2019) को "बन्दनवार सजाना होगा" (चर्चा अंक- 3350) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

    जवाब देंहटाएं
  2. बिलकुल सही बात ,सादर नमस्कार

    जवाब देंहटाएं