गुरुवार, 30 मई 2019

संसद के लिए शील, शांति, न्याय और पवित्रता सर्वोपरि होने चाहिए

आज भारत की 17वीं संसद पद एवं गोपनीयता की शपथ लेने जा रही है। यह ऐसा अवसर है जब भारत के सभी लोग नव निर्वाचित सांसदों को बधाई एवं आगामी पांच साल के लिए नयी सरकार को शुभकामना देना चाहेंगे। दुनिया भर के जागरूक नागरिक भारत के आज के इस ख़ास दिन को इच्छानुसार अपनी-अपनी डायरी में नोट करेंगे। 

मैं भी समझता हूँ आज का दिन है ही विशेष जब भारत के विभिन्न दलों के सांसद एक साथ मिलकर 17वीं संसद का चेहरा बन जाएंगे। यहीं मुझे लगता है एक बात पर विशेष रूप से विचार करने की ज़रूरत है। अनेक समाचार माध्यमों से यह जानने में आया है कि भारत की 17वीं नव निर्वाचित संसद में लगभग 44 प्रतिशत ऐसे सांसद हैं जिन पर अपराध पंजीबद्ध हैं। इन अपराधों के बारे में कहा गया है कि यह सब प्रकार के हैं। 

जैसा कि दुनिया का चलन है सम्भव है कि इन दागी जनप्रतिनिधियों में से कुछ पर मुकदमें दुर्भावनावश लगाए गए हों जो अदालत में आगे सही साबित न हो पाएं। सम्भव यह भी है कि आगे इन सांसदों में से कुछ का प्रभाव इतना बढ़ जाए कि अपराधों के सबूत छोटे पड़ जाएं। कोई अदालत इन नेताओं को दोषी साबित न कर पाए। सम्भव यह भी है कि माननीय सचमुच दोषी हों। 

सवाल यह नहीं है कि भविष्य में कौन बच जाएगा, किस दल में कम ज्यादा आरोपी हैं और कौन अपने अपराधों की सज़ा पायेगा ? बल्कि सवाल यह है कि क्या यह भारतीय संसद का आदर्श चेहरा है जहां 43 या 44 प्रतिशत निर्वाचित सासंद आरोपी हों ?यदि एक भी सांसद दोषी सिद्ध हो गया तो इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा ? संसद की पवित्रता का क्या होगा ? 

मेरे ख़याल से आज यह सवाल सबसे बड़ा सवाल होना चाहिए कि यदि भारतीय लोकसभा को अपने किसी सदस्य के लिए भविष्य में पछताना पड़े, शर्मशार होना पड़े, विश्व बिरादरी में नीचा देखना पड़े, जवाब देना पड़े तो इसका जिम्मा किस पर जाएगा ? क्या राजनीतिक दलों पर जिन्होंने प्रत्याशी खड़े किए ? क्या चुनाव आयोग पर जिसने इन्हें चुनकर आने दिया ? क्या न्याय पालिका पर जो समय रहते इन पर अपराध तय नहीं कर पाई ? क्या विभिन्न सरकारों पर जो इन पर अंकुश नहीं लगा पाईं ? या फिर अंतिम रूप से जनता पर जिसने दागी नेताओं को भारी मतों से अपना नुमाइंदा या रहनुमा चुना ? 

आज इन सवालों पर देश को गौर करना ही होगा। अब वह समय नहीं रहा जब विजेता के सब दोष माफ़ होते हैं। यह लोकतांत्रिक विश्व है। भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। लोकतंत्र में बहुमत से कम महत्व मत का नहीं होता। यदि एक भी नागरिक जानना चाहता है कि संसद में आरोपी क्यों और कैसे पहुंचे ? तो जवाब देना होगा। यही जनादेश का सच्चा सम्मान होगा। 

भारत एक महान देश है। इसे अपने उच्च मानवीय गुणों के लिए दुनिया भर में आदर से देखा जाता है। भारत के जनादेश का सम्मान करने वालों का यह पहला कर्तव्य है कि वे इस देश की संसद को पवित्र रखें। बिना इस तू-तू मैं-मैं के कि पिछली संसद में निर्वाचितों का आपराधिक डेटा क्या रहा है। 

मैं सबसे क्षमा सहित यह कहना चाहता हूं कि भारत की नवनिर्वाचित मज़बूत सरकार और विपक्ष चाहे वह कितना ही कमज़ोर क्यों न हो कि यह पहली साझी ज़िम्मेदारी होगी कि संसद में जो सदस्य चुनकर आये हैं वे जल्द से जल्द अगर दोषी हैं तो दोषी और बेदाग़ हैं तो बेदाग़ निकलें। इन पर लंबित मुकदमों की सुनवाई प्राथमिकता में त्वरित सुनिश्चित हो। कोई भी नया कार्यक्रम लागू करने से पहले इस जनादेश को निष्कलंक किया जाए। मेरा यह सोच अगर किसी रूप में गलत है तो मुझे माफ़ किया जाए। 

भारतीय नागरिक होने के नाते मेरी केवल एक ही इच्छा है कि जैसे भारत के करोड़ों लोग ग़रीबी, मजबूरी, सताये जाने पर भी नेक, निर्दोष, विनीत और निष्कलंक रहते हैं वैसी ही भारत की संसद भी हो। दुनिया में इसकी पहचान क़ायम हो कि यह भारत की संसद है जिसके लिए शील, शांति, न्याय और पवित्रता सर्वोपरि हैं। 

सभी निर्वाचित सांसदों एवं पदाधिकारियों को मेरी ओर से शुभकामनाएं। प्रधानमंत्री जी के लिए हार्दिक मंगलकामनाएं कि सबसे बड़े राजनीतिक दल के रूप में सबसे अधिक आरोपी सांसद भी आपकी ओर से ही हैं  इसलिए अब इतनी बड़ी संसद को सम्हालने और निर्दोष रखने का सर्वाधिक जिम्मा आपका ही है। 

जय हिंद ! भारत माता की जय !!

- शशिभूषण

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