यह दिन सृष्टि का पहला दिन था
रची जानी थी इतनी बड़ी दुनिया
और हमारे हाथों में कोई औज़ार न थे
हमने सागर में उतार दी थी अपनी नाव
हमारे पास एक पतवार तक नहीं थी
हमें रचना था समय पर
उसकी गति पर
हम नियंत्रण नहीं कर सकते थे
मेरे जीवन के रेगिस्तान में
एक नदी की तरह आई थीं तुम
और मेरी पूरी रेत को प्रेम में बदल दिया था.
-विमलेन्दु
choti aur achchee kavita
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