बुधवार, 23 जून 2021

उज्जैन की सड़क पर तैराकी

मैंने नंग-धड़ंग लड़के-लड़कियों को
पक्की सड़क पर
तैरते देखा उज्जैन में
वर्षा ऋतु की पहली भारी बरसात थी
शहर के बीचोबीच
रेलवे स्टेशन के सामने वाली सड़क पर
पीठ के बल पेट के बल
बह रहे थे बहती सड़क पर बच्चे
तेज धारा के साथ लौट-पौटकर
हेडलाइट्स पानी पर पड़ चमक उठतीं।

घरों से देखती औरतों के चेहरे पर
भय, बेचैनी, खीझ, आशंका साफ़ दिख रहे थे
मगर वे हँसती भी जातीं डाँटते-रोकते-चीखते
उनके गले फटते जाते बार-बार उठते हाथ
एड़ियों के बल खड़ी थीं माँएँ
भीगने से बचने में भीगती जा रही थीं
बड़ी-बड़ी लड़कियां।

कोरोना काल में बारिश में
बच्चों की इस निर्भय जल क्रीड़ा ने
मुझे भिगो दिया मैंने दुआ करनी चाही
फ़ोटो भी खींच लेना चाहा
लेकिन ऊपर मूसलाधार थी बारिश
कंकड़ जैसे लग रही थीं बूंदे
मैं हेलमेट पहने भीग रहा था
बैग में रख लिया मोबाईल
बाहर निकालना मुमकिन नहीं था
वरना, हाथ धोना पड़ जाता मोबाईल से।

बारिश वाले दिन के अंधेरे में
कसक हुई मोटरसाईकिल आगे बढ़ाते
सोचा फ़ोटो खींच लेना भी सुविधा है
दृश्य सहेज न पाना खो देने जैसा
तैर लेना सड़क पर मनमाने होकर
बच्चों की तरण तालों को खुली चुनौती
भले इसके लिए करना पड़े वर्षा का इंतज़ार
और भोगना पड़े नगर निगम का कार्य व्यापार।

यों तो उज्जैन बहुत अच्छा है
अच्छे शहरों में भी अच्छा है
यहां की हवा यहां का पानी
यहां रहने का सुख बस जाने का अरमान
कह जाने से अच्छा लगता है
आत्मतोष उज्जैन में रहते हैं
लोग कहा करते हैं:
बड़े भाग से उज्जैन में रहते हैं
तो सचमुच लगता है
आगे भी रह पाएं।

लेकिन सड़क में तैरते बच्चों की
अगर खींच लेता मैं तस्वीर
तो वर्षा के उल्लास से अधिक
शहर की तस्वीर हो जाती वह
इसलिए भी तस्वीर न खींच सका मैं
बेवजह तस्वीर खींच लेने से राहत पायी
अच्छा किया छवि ख़राब नहीं की
अभियान वाले नम्बर वन उज्जैन की।

वर्षा में भीगने का आनन्द
सड़क पर तैराकी का अनुपम दृश्य
मुझे डर तक नहीं ले जाने पाये
शायद अच्छा हुआ
लेकिन इस बात का धन्यवाद
किसे और किस मुँह से दूँ ?

~ शशिभूषण
22 जून 2021

2 टिप्‍पणियां: