शनिवार, 20 फ़रवरी 2010

तलाश

कविता जड़िया ने पांचवी में पहली कविता लिखी.फिर दसवीं में म.प्र.के गोविंदगढ़ में आयोजित एक कविता रचना शिविर में हिस्सा लिया जिसमें भगवत रावत,बद्रीनारायण,डा.सत्यप्रकाश मिश्र.प्रो.कमला प्रसाद आदि मार्गदर्शक की भूमिका में थे.कविता की कविताएँ तब से रुक-रुककर अखबार,पत्रिकाओँ में प्रकाशित होती रहीं.आकाशवाणी,दूरदर्शन केंन्द्रों से प्रसारित भी हुईं.चुपचाप.यह अच्छा भी रहा कि सिफ़ारिशी प्रशंसा कविता के हिस्से नहीं आईं.इधर कुछ सालों पहले किसी दिन अचानक तय कर लिया कि अब कुछ दिनों तक साहित्य सेवा बंद.पहले रोज़गार,परीक्षाओं के लिए पढ़ाई.सो नहीं लिखा.हिंदी में एम.फिल,नेट हैं.हाल ही में-नारी आत्म कथाओं में अभिव्यक्त आधुनिकता बोध और अस्मिता की खोज विषय पर शोध पूरा किया है.छह महीने पहले केंद्रीय विद्यालय बैकुंठपुर में हिंदी पढ़ाने के लिए नियुक्त हुई हैं.सो इस उम्मीद के साथ यह कविता कि लिखना फिर शुरू करेंगी.-ब्लागर

मैं जानती हूँ
पहाड़ों और खाइयों ने दोस्ती कर ली है
मिलकर पाट दिया है
उनके बीच अंतर पैदा करनेवाले
भू-भाग को
बना दिया है दुनिया को
फिसलपट्टी का खेल
जहाँ चढ़ने और फिसलने के सिवाय
नहीं बचता कोई तीसरा विकल्प
शेष नहीं रह जाता
बीच का कोई पड़ाव
दम भरने के लिए

फिर भी मुझे तलाश है
ज़मीन के उस समतल टुकड़े की
जहाँ खड़ा हो सके
औसत क्षमता और सीमित साधनवाला आदमी
अपनी पूरी संपन्नता के साथ.
-कविता जड़िया

6 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर कविता है. उम्मीद रहेगी कि ब्लॉगर पर आयें.

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  2. पहाड़ों और खाईयों ने दोस्ती कर ली है....बहुत अच्छी कविता!

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  3. बहुत अच्छी कविता.

    आपकी राम कहानी मुझसे काफी मिलती है बस फर्क यह है कि आपको अपनी रूची के अनुसार अध्ययन और अंत में हिंदी की सेवा का अवसर मिला और मुझे..लेखाकारी!..जिसे करना मेरी नियती है.
    आशा है अब कवि को वह धरातल मिल गया है जिसकी उसे तलाश थी.
    आगे अच्छी रचनाएँ पढ़ने को मिलेंगी.

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