और एक युवक ने कहा:
हमसे मित्रता के विषय में कुछ कहो.
और उसने उत्तर दिया:
तुम्हारा मित्र तुम्हारे अभावों की पूर्ति है.
वह तुम्हारा खेत है,जिसमें तुम प्रेम का बीज बोते हो और कृतज्ञता के फल प्राप्त करते हो.
वह तुम्हारा भोजन-गृह है और वही तुम्हारा अलाव.
क्योंकि,तुम उसके पास अपनी भूख लेकर जाते हो और शांति पाने की इच्छा से उसे तलाश करते हो.
जब तुम्हारा मित्र तुम्हारे सामने अपना दिल खोलकर रखे तो तुम अपने मन के न को प्रकट करने में मत डरो और न हाँ कहने में झिझको.
और जब वह चुप होता है,तब भी तुम्हारा हृदय उसके दिल की आवाज़ सुनना बंद नहीं कर देता.
क्योंकि मित्रता में,शब्दों की सहायता के बिना ही सारे विचार,सारी कामनाएँ,और सारी आशाएँ अव्यक्त आनंद के साथ पैदा होती और उपभोग में आती हैं.
जब तुम अपने मित्र से विदा हो तो शोक मत करो.
क्योंकि,तुम उसमें जिस वस्तु को सबसे अधिक प्यार करते हो,वही उसकी अनुपस्थिति में अधिक स्पष्ट हो सकती है,जैसे एक पर्वतारोही को नीचे के मैंदान से पर्वत अधिक स्पष्ट और सुंदर दिखाई देता है.
आत्मीयता को गहरा बनाते रहने के सिवा तुम्हारी मित्रता में कोई और प्रयोजन नहीं होना चाहिए.
क्योंकि,जो प्रेम अपने ही रहस्य का घूँघट खोलने के अतिरिक्त कुछ और खोजता है,वह प्रेम नहीं,एक जाल है जिसमें निकम्म वस्तु के सिवा और कुछ नहीं फंसता.
तुम्हारी प्रिय से प्रिय वस्तु अपने मित्र के लिए हो.
जिसने तुम्हारे जीवन-समुद्र का भाटा देखा है उसे उसका ज्वार भी देखने दो.
क्योंकि मित्र क्या ऐसी वस्तु है जिसे तुम समय की हत्या करने के लिए खोजते हो?
सदैव समय को सजीव करने के लिए उसे खोजो.
क्योंकि उसका काम तुम्हारे अभाव की पूर्ति करना है,न कि तुम्हारे खालीपन को भरना.
और मैत्री के माधुर्य में हास्य का स्फुरण हो और उल्लास का विनिमय.
क्योंकि नन्हीं-नन्हीं चीज़ों के ओस-कणों में हृदय अपना प्रभात देखता है और ताज़ा हो उठता है.
-ख़लील जिब्रान
हमसे मित्रता के विषय में कुछ कहो.
और उसने उत्तर दिया:
तुम्हारा मित्र तुम्हारे अभावों की पूर्ति है.
वह तुम्हारा खेत है,जिसमें तुम प्रेम का बीज बोते हो और कृतज्ञता के फल प्राप्त करते हो.
वह तुम्हारा भोजन-गृह है और वही तुम्हारा अलाव.
क्योंकि,तुम उसके पास अपनी भूख लेकर जाते हो और शांति पाने की इच्छा से उसे तलाश करते हो.
जब तुम्हारा मित्र तुम्हारे सामने अपना दिल खोलकर रखे तो तुम अपने मन के न को प्रकट करने में मत डरो और न हाँ कहने में झिझको.
और जब वह चुप होता है,तब भी तुम्हारा हृदय उसके दिल की आवाज़ सुनना बंद नहीं कर देता.
क्योंकि मित्रता में,शब्दों की सहायता के बिना ही सारे विचार,सारी कामनाएँ,और सारी आशाएँ अव्यक्त आनंद के साथ पैदा होती और उपभोग में आती हैं.
जब तुम अपने मित्र से विदा हो तो शोक मत करो.
क्योंकि,तुम उसमें जिस वस्तु को सबसे अधिक प्यार करते हो,वही उसकी अनुपस्थिति में अधिक स्पष्ट हो सकती है,जैसे एक पर्वतारोही को नीचे के मैंदान से पर्वत अधिक स्पष्ट और सुंदर दिखाई देता है.
आत्मीयता को गहरा बनाते रहने के सिवा तुम्हारी मित्रता में कोई और प्रयोजन नहीं होना चाहिए.
क्योंकि,जो प्रेम अपने ही रहस्य का घूँघट खोलने के अतिरिक्त कुछ और खोजता है,वह प्रेम नहीं,एक जाल है जिसमें निकम्म वस्तु के सिवा और कुछ नहीं फंसता.
तुम्हारी प्रिय से प्रिय वस्तु अपने मित्र के लिए हो.
जिसने तुम्हारे जीवन-समुद्र का भाटा देखा है उसे उसका ज्वार भी देखने दो.
क्योंकि मित्र क्या ऐसी वस्तु है जिसे तुम समय की हत्या करने के लिए खोजते हो?
सदैव समय को सजीव करने के लिए उसे खोजो.
क्योंकि उसका काम तुम्हारे अभाव की पूर्ति करना है,न कि तुम्हारे खालीपन को भरना.
और मैत्री के माधुर्य में हास्य का स्फुरण हो और उल्लास का विनिमय.
क्योंकि नन्हीं-नन्हीं चीज़ों के ओस-कणों में हृदय अपना प्रभात देखता है और ताज़ा हो उठता है.
-ख़लील जिब्रान
(जीवन संदेश से)
बहुत ही शिक्षाप्रद पोस्ट।
जवाब देंहटाएंसादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
बहुत गहरी और चिन्तन परक शि़क्षाप्रद पोस्ट है धन्यवाद्
जवाब देंहटाएंwaah bahut khub.......
जवाब देंहटाएंअच्छी प्रस्तुती। जिब्रान का गद्य काफी कवित्तपूर्ण होता है। आपकी कवितानुमा डायरी भी रुचिकर है।
जवाब देंहटाएंवाकई बहुत उम्दा
जवाब देंहटाएंआजकल खलिल गिब्रान को ही पढ़ रहा हूँ
जवाब देंहटाएंआपका अनुवाद बहुत अच्छा लगा
शानदार आलेख!
जवाब देंहटाएंbehtreen....
जवाब देंहटाएंWAH...SPLENDID
जवाब देंहटाएंMy name is Dr. Ashutosh Chauhan A Phrenologist in Kokilaben Hospital,We are urgently in need of kidney donors in Kokilaben Hospital India for the sum of $450,000,00,All donors are to reply via Email only: hospitalcarecenter@gmail.com or Email: kokilabendhirubhaihospital@gmail.com
जवाब देंहटाएंWhatsApp +91 7795833215