लड़की तू चल
तुझे चलाने का चलन है इसलिए चल
पर नापते हुए नयी राहों को कदमों से
अपनी गति, चाल और चलन के तरीके
स्वयं बनाने मत लगना
भूलना मत कि तुझे चलना है, सिर्फ़ चलना
विकल्प नहीं हैं तेरे पास ठहरने या दौड़ने के
सिवाय पूर्व निर्धारित मोड़ों या पड़ावों के
सुस्ताना या मुड़ना नहीं कहीं और
मंज़िल का पता तो हर्गिज़ न पूछना
चलते हुए रखनी है तुझे और भी सावधानियाँ
कि राह के किसी फलदार वृक्ष पर नहीं रीझना
प्यास बुझाने मत रुकना किसी कुएँ की जगत पर
किसी खेत की हरीतिमा देख मन पाखी होने लगे
फिर भी उड़ना मत वहाँ तितलियों और भौंरों संग
चलती हुई पुरवाई संग नाचने मत लगना
जलते हुए सूरज संग पिघलना मत
राह के आरोह अवरोहों से विचलित न होना
कर मत बैठना कभी थकने की शिकायत
पैरों के छाले या माथे के श्रम बिंदु
दिखा मत देना किसी को भोलेपन में बावरी
कि तेरी एक ही औचक भूल से
थम जायेंगे अनगिन बढ़ते क़दम
बदल जायेगा लड़की को चलाने का चलन
भूलना मत कि तुझे चलना है, सिर्फ़ चलना
-कविता जड़िया
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा आज रविवार (22-01-2017) को "क्या हम सब कुछ बांटेंगे" (चर्चा अंक-2583) पर भी होगी।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'