रविवार, 2 दिसंबर 2012

खेल



वे महान खेलते हैं
विनय उनकी  कमाल है
वे मैचों के लाल हैं
कंपनियों के ब्रांड
उनकी टोपी
उनके जूते
उनका घर
उनकी कारें
उनके ईनाम
यहाँ तक कि खेलने की उम्र
सब उन्हें दिये गये हैं
कहना चाहिए कि वे अनुबंध पर हैं
हज़ारों गुना क़ीमत उनकी
जिन रुपयों की वसूली
उसी जनता से होती है
जिसके प्यारे हैं वे
जिसकी पसंद पर महान कहलाये
यदि आपको भी लगता है
कि वे देश के रतन हैं
तो कृपया देखिए
सर्कस में वहाँ नहीं जहाँ थकी हारी जनता की खुशी है
वहाँ भी नहीं जहाँ भूख, कला, शेर और हाथी हैं
बल्कि वहाँ जहाँ मालिक मुस्कुरा रहे हैं
जहाँ विज्ञापन लिखे जा रहे हैं।

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