सुनी जाती है एक दिन कमज़ोर आवाज़
थाम लिये जाते हैं दुर्बल हाथ
इंसानी विवशता
शक्ति की गुलाम नहीं रहती
बुरे से बुरे इलाक़े में
एक दिन स्त्री की गुहार पर दौड़ते हैं लोग
हर जगह से ठुकराये जाने वाले
सिर उठाकर जाते हैं एक दिन
सत्ता जब बुनती है जाल
गरीबों को मिटाने के लिए
तब असहायों के संकल्प चूर नहीं हो जाते
लड़ने, निडर और ईमानदार रहने के
यह आशावाद नहीं है
सौ में से एक को न्याय मिलना
युग में एक बार निर्बल का जीतना
देख-देखकर कौन आशावादी बचेगा?
यह प्यार है
पिता का
सबसे इसे बचाकर
वह अपनी नन्हीं बच्ची को
सौंप रहा है।
-शशिभूषण
थाम लिये जाते हैं दुर्बल हाथ
इंसानी विवशता
शक्ति की गुलाम नहीं रहती
बुरे से बुरे इलाक़े में
एक दिन स्त्री की गुहार पर दौड़ते हैं लोग
हर जगह से ठुकराये जाने वाले
सिर उठाकर जाते हैं एक दिन
सत्ता जब बुनती है जाल
गरीबों को मिटाने के लिए
तब असहायों के संकल्प चूर नहीं हो जाते
लड़ने, निडर और ईमानदार रहने के
यह आशावाद नहीं है
सौ में से एक को न्याय मिलना
युग में एक बार निर्बल का जीतना
देख-देखकर कौन आशावादी बचेगा?
यह प्यार है
पिता का
सबसे इसे बचाकर
वह अपनी नन्हीं बच्ची को
सौंप रहा है।
-शशिभूषण
आशा और उम्मीद की कहानियां इस तरह ही बुनी जाती हैं की उम्मीद बची रहे पिता के प्रेम की तरह ...
जवाब देंहटाएंबेहतरीन !
आशा और उम्मीद की कहानियां इस तरह ही बुनी जाती हैं की उम्मीद बची रहे पिता के प्रेम की तरह ...
जवाब देंहटाएंबेहतरीन !