सोमवार, 21 मार्च 2016

मोची



शिक्षक के बारे में
चली आईं उपमा
ज्ञान की स्तुति रहीं

पुराना कोई विशेषण
कोई प्राचीन महात्म्य
अनुभव-निकट नहीं ठहरता

अब जो मैं शिक्षक हूँ
शिक्षा जगत में मोची हूँ

मेरा वही ईमान
उतना ही मान है

जब मैं शिक्षक के बहाने
खुद को मोची कहता हूँ
तो आपसे चाहता हूँ
जूतों के शोरूम के बारे में,
सरकार के बारे में नहीं
मोची के बारे में सोचें
समझना चाहें
शिक्षक किस तरह मोची है?

यदि आपको लगता है
शिक्षक मोची नहीं है
तो यह ज़रूर बताएँ
दूसरा कौन है?
जो जूते बनाने के बावजूद
जूते पहने पाँवों पर पड़ा हुआ है?
कभी कलम उठाये खड़ा हुआ है

-शशिभूषण

1 टिप्पणी:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल बुधवार (23-03-2016) को "होली आयी है" (चर्चा अंक - 2290) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    रंगों के महापर्व होली की
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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