कल शाम सड़क पर हाथी देखा.
रास्ता चलते हाथी दिख जाए तो शुभ होता है
मानते हैं लोग.
मैंने ग़ौर से देखा हाथी को कल
महावत की शाही बैठक
हाथी की अधीन चाल.
जड़ रहा था लात महावत हाथी की गर्दन पर
प्रणाम कर रहे थे आते जाते लोग
धीमे-धीमे हिलता हुआ जा रहा था हाथी.
बड़े से बड़ा क़द भी उधर ही जाने लगता है
जिधर ठेली जाती है गर्दन.
मैने देखा
पालतू बना धरती का सबसे बड़ा जीव
तो सिर से लतियाया जा रहा है
पूज रही है दुनिया.
आदमी का जवाब नहीं
बन सकता है महावत
बना लेता है किसी को भी पालतू.
केवल पेट-पीठ रह जाते हैं
एक बार पालतू हो जाने के बाद.
बहुत गहरे भाव!! वाह!!
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया!! भावपूर्ण रचना है।बधाई।
जवाब देंहटाएंek sath anek arthhon aur bhavon ki sawari dhone
जवाब देंहटाएंwala apka hathi lajawab hai.Badhai.
-RACHNA ,BARELI (U.P.)
Bahut Badhiya lagee apakee rachana.
जवाब देंहटाएंअच्छी कविता शशि भाई.
जवाब देंहटाएंअच्छी कविता है। समय-समाज की गहरी समझ और सहज शिल्प के मेल से ही ऐसी कविता संभव हो पाती है। बधाई।
जवाब देंहटाएंbahut khubsurat
जवाब देंहटाएंबहुत दिनो के बाद एक खूबसूरत कविता पढी है , बधाई हो
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