गुरुवार, 24 अगस्त 2017

राष्ट्र के नाम एक नागरिक का संदेश

प्यारे देशवासियो,

भारत एक महान देश है। भारत एक विशाल देश है। भारत की सुंदरता अतुलनीय है। भारत की महानता का पूरा श्रेय यहां की धरती, प्रकृति और निवासियों को जाता है। सदियों से भारत में ऐसे महान इंसान होते आये हैं जिन्होंने भारत को बड़े दिल का देश बनाया। यहां सब प्रेमपूर्वक रह सकें इस लायक बनाया। ऐसा देश जिसके दिल में सबके लिए बराबर जगह हो।

भारत की महानता इसकी प्राकृतिक विविधता में तो है ही इस बात में सबसे अधिक है कि यह संस्कृतियों का महासंगम है। यदि आप अलग-अलग संस्कृति, धर्म, कला, इंसानियत और सहकार की ऊंचाइयों को देखना चाहते हैं और संयोग से भारत में पैदा हुए हैं तो फिर आपको कहीं और जाने की ज़रूरत नहीं है। भारत दर्शन ही जगत दर्शन है। जिहोंने पूरी दुनिया अपनी आंखों से देखी और देशों की महानताओं की तुलना कर सकने लायक जीवन में योग्यता हासिल की उन सबका कहना है कि मनुष्यता की दृष्टि से भारत सबसे महान भूमि है। यहां सब लोग भाईचारे के साथ रह सकें इसके गुण यहां की मिट्टी में ही हैं।

प्यारे देशवासियों, हम सौभाग्य एवं सत्कर्मों की धरती में रहते हैं तो इसका मतलब यह नहीं समझना चाहिए कि दुर्भाग्य और दुष्कर्म हमें घात लगाकर नहीं देखते रहते हैं। बुराइयां हमें नीचा दिखाने और हमारी कमर तोड़ देने के लिए दिन रात कोशिश करती हैं। वे कभी-कभी जीत भी जाती हैं। यही कारण हैं कि हम आज तक स्वावलंबी नहीं हो पाए, हमारे नौजवान बेरोज़गार भटकते हैं, हमारी लड़कियों को गर्भ में ही मार दिया जाता है, दहेज स्त्रियों को ज़िंदा जल देता है, जातिवाद ज़िंदगियां तबाह करता है, कितनी कलियां जाति के बूट में कुचल जाती हैं, साम्प्रदायिकता हंसते-खेलते आंगनों में लाश गिरा देती हैं, आतंकवाद शांति के फूल नोच लेता है और सत्ता के चरमपंथी कंस बीमार बच्चों से प्राणवायु छीन लेते है। मुनाफे का धंधा ग़रीबों का खून चूस लेता है। यह सब हमारे देश को खोखला कर नष्ट करता जा रहा है। यह बताने की ज़रूरत नहीं साफ साफ दिख रहा है। जो आंखों के सामने है, जिस नफ़रत को रोज़ बोया जा रहा है उससे गाफ़िल रखने के झूठे लंबे-लंबे वादे और भाषण और भयानक हैं। राजनीति का स्वार्थी, अलगाववादी, चरमपंथी और भ्रष्ट होते जाना सबसे भयानक त्रासदी है।

प्यारे देशवासियों, लेकिन राहत की ज़िंदादिल बात यह है कि भारत हमेशा से बुराइयों पर विजय पाता आया है। कोई आसुरी सत्ता, लोभी शक्ति यहां अधिक दिन टिकी नहीं है। सबके घमंड चूर हुए हैं। सब नराधमों को भारत ने मिट्टी में मिलते देखा है इसलिये निराश होने की ज़रूरत नहीं है। हारकर बैठने की ज़रूरत नहीं है। आवश्यकता है बड़े मन से, साफ़ हाथों से परिश्रम करने की। भाईचारा रखने और बांटने की। किसी किस्म की नफरत की राजनीति से हमें हमेशा दूर रहना होगा। बांटने की बातें, किसी भी एक धर्म को सर्वश्रेष्ठ समझाने के भीषण छल को हमें मिलकर समय रहते भेदते रहना होगा। नेकी और भलाई के आगे अफवाह और सत्ता लोभ कभी टिकते नहीं हैं। 

प्यारे देशवासियों, धर्म महान हो सकते हैं। धार्मिक स्थल महान हो सकते हैं। लेकिन हमें यह कभी नहीं भूलना चाहिए कि कोई भी धार्मिक जगह स्कूल, अस्पताल, खेल के मैदान, खेत खलिहान से भली नहीं हो सकती। जहां अन्न उगता है, जहां बच्चे पढ़ते हैं जहां रोगी चंगे होते हैं उन जगहों में ईश्वर को नहीं बैठाया जा सकता। आज सबसे अधिक ज़रूरत शिक्षा, चिकित्सा और सहिष्णुता की है। आइये हम संकल्प लें कि अपने बच्चों को खूब पढ़ाएंगे, सबको रोज़गार दिलाएंगे और महान भारतीयों के दिल से सब तरह के डर दूर करेंगे। 

प्यारे देशवासियों, हम महान देश के नागरिक हैं। राजनीतिक दलों के ईवीम रूपी कुल्हड़ के सिक्के नहीं हैं। बदली जानेवाली मुद्रा हमारी ईमानदारी का पैमाना नहीं हो सकती। हमारा ईमान हमारी एकता है। हम इसे कम करने के सब प्रयास मिटा कर रहेंगे। सत्ता के भुक्कड़ शैतान हमें तोड़ नहीं सकते। हम इस बात के लिए कृतसंकल्प हों कि मिलकर आगे बढ़ेंगे। अन्याय, ग़ैरबराबरी, अशिक्षा, झूठ, ग़रीबी, फैलायी जानेवाली नफ़रत से मिलकर मुक़ाबला करेंगे। हम अपनी नदियों, हरियाली, खेती और धरती की रक्षा करेंगे।

जय हिंद ! जय भारत!! भारत माता की जय !!!

-शशिभूषण
15 अगस्त 2017
फेसबुक वाल से

2 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (26-08-2017) को "क्रोध को दुश्मन मत बनाओ" (चर्चा अंक 2708) पर भी होगी।
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    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    गणेश चतुर्थी की
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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