शनिवार, 9 सितंबर 2017

सच्चाई राख से भी उठकर खड़ी होगी

गौरी लंकेश की स्मृति में प्रतिरोध सभा में लिया संकल्प - अब बर्दाश्त और नहीं
विनीत तिवारी-सारिका श्रीवास्तव

5 सितम्बर 2017 को बेंगलुरु की पत्रकार एवं सम्पादक गौरी लंकेश की सम्प्रदायवादियों द्वारा हत्या कर दी गई। इसके प्रति अपना विरोध और आक्रोश दर्ज कराने 7 सितम्बर 2017 को शाम 5 बजे से इंदौर में रीगल चौराहे, गाँधी प्रतिमा पर करीब 400-450 लोग एकत्र हुए। 

नरेंद्र दाभोलकर, गोविंद पानसरे और एम एम कलबुर्गी की हत्या के बाद इस चौथी हत्या से लोगों में इतना आक्रोश था कि अकेले इंदौर शहर में ही श्रद्धांजलि के तीन अलग-अलग कार्यक्रम हुए। जिनमें से दो कार्यक्रम दो अलग-अलग प्रेस क्लब के ही थे।

शहर के लोगों को श्रद्धांजलि सभा से संतोष नहीं था इसलिए अलग-अलग राजनीतिक दल और संगठन सड़क पर आए और लगातार हो रहे विचारों पर हमले के विरोध में एकजुट होकर करीब दो घण्टे का मौन प्रदर्शन भी किया, जनगीत गाए और मोमबत्ती जलाकर शहीद हुए लेखकों को अपने जज्बे और दुख की सलामी दी।

इस विरोध प्रदर्शन का महत्त्व तब और बढ़ गया जब मेधा पाटकर औऱ नर्मदा आंदोलन के साथियों को हमने इस विरोध प्रदर्शन की इत्तला दी तो मेधा अपने करीब 200 से 250 साथियों के साथ अविलंब इस प्रदर्शन में शरीक हो गईं। करीब तीन दशक से अपने रहने, खाने, कमाने और वजूद के लिए सतत आंदोलन कर रहे नर्मदा आंदोलन के साथी जिनकी इसी दिन कई केस में से एक केस की सुनवाई थी शामिल हुए। नर्मदा बचाओ आंदोलनकारी एनसीए यानी नर्मदा कन्ट्रोल अथॉरिटी में हो रहे भ्रष्टाचार से निपटने और भ्रष्टाचारियों को यह समझाने कि हम गाँव में रहने वाले किसान, मजदूर, मछुआरे लोग जरूर हैं लेकिन अन्याय और शोषण सहित बहुत कुछ समझते हैं और आपके हर तरह के भ्रष्टाचार पर नजर भी रखे हुए हैं; अपने केस की सुनवाई के साथ ही साथ वे एनसीए यानी नर्मदा कन्ट्रोल अथॉरिटी से आमने-सामने बैठ दो-टूक बात करने के लिए मेधा पाटकार के साथ इंदौर आए थे।

इन सबके साथ ही बड़ी संख्या में शहर के युवा, महिलाएँ और बच्चे शरीक हुए। इस विरोध प्रदर्शन में शहर के वरिष्ठ एवं गणमान्य नागरिक, कुछ ऐसे साथी स्वास्थ्य खराब था शरीक हुए और अपनी नाराजगी दर्ज कराई। कॉमरेड पेरिन दाजी, कॉ वसन्त शिंत्रे, इप्टा इंदौर के संस्थापक और वरिष्ठ वकील आनंद मोहन माथुर जैसे साथी जो खड़े रह सकने में भी असमर्थ थे शामिल हुए। युवा साथियों ने अपनी जिम्मेदारी समझते हुए उन्हें बैठने के लिए स्टूल की व्यवस्था की। शैला शिंत्रे, कल्याण जैन के साथ-साथ नर्मदा आंदोलन की जुझारू नेत्री मेधा पाटकर अपने आंदोलन के साथियों सहित पूरे समय उपस्थित रहीं। जोशी एन्ड अधिकारी रिसर्च इंस्टीट्यट, दिल्ली की प्रमुख एवं सामाजिक अर्थशास्त्री जया मेहता, स्वास्थ्य के मुद्दों और ड्रग ट्रायल की डरावनी सच्चाई को सामने लाने वाली और महिलाओं के आंदोलन से जुड़ी कल्पना मेहता, मध्य प्रदेश प्रगतिशील लेखक संघ के महासचिव कॉ विनीत तिवारी भी सक्रिय रूप से उपस्थित रहे। इनके अलावा सीपीआई के जिला सचिव कॉमरेड रुद्रपाल यादव, कैलाश गोठानिया, कॉ दशरथ, सी.पी.एम. से कॉ अरुण चौहान, के.के.मिश्रा, एस यू सी आई से कॉ प्रमोद नामदेव, इसी के महिला संगठन से अर्शी, समाजवादी पार्टी से रामस्वरूप मंत्री, प्रगतिशील लेखक संघ से केसरी सिंह चिढार, चुन्नीलाल वाधवानी, मुकेश पाटीदार, मध्य प्रदेश भारतीय महिला फेडरेशन की महासचिव सारिका श्रीवास्तव, इसी की इंदौर इकाई की सचिव नेहा दुबे और अन्य सदस्य सुलभा लागू, पँखुरी, कामना, सुधा कोठारी, भारतीय जन नाट्य संघ से विजय दलाल, प्रमोद बागड़ी, अरविंद पोरवाल, रूपांकन से अशोक दुबे, दीपिका, विकी, नर्मदा घाटी आंदोलन के साथी रहमत, हिम्शी, देवराम भाई, कमलू दीदी, चिन्मय एवम सरोज मिश्र, जनवादी लेखक संघ से रजनीरमण शर्मा, परेश टोककर, सुरेश उपाध्याय, भगत सिंह दीवाने ब्रिगेड से विजय जाटव, शादाब गौरी, शाहरुख, कुछ पत्रकार, कार्टूनिस्ट और कलाकार साथी दीपक असीम, सौरभ बनर्जी, नवनीत शुक्ला, गिरीश मालवीय, हेमन्त मालवीय, सुन्दर गुर्जर, सदभावना एवं शांति एकजुटता संगठन से शफी शेख, मुस्ताख़ भाई बड़नगर वाला, आम आदमी पार्टी से युवराज सिंह और उनके साथी, फ़ाईन आर्ट कॉलेज के विद्यार्थी, पाशा मियाँ इत्यादि भी सम्मिलित हुए।

लोगों की यह उपस्थिति उनके अंदर छुपे दुःख आक्रोश एवं न्याय तथा संघर्ष के प्रति संलग्नता को दर्शाती है। बड़ी संख्या में यह मौजूदगी बताती है कि दाभोलकर, पानसरे, कलबुर्गी और अब गौरी लंकेश को एक-एक कर खो देने के बाद अब और नहीं। अब तक हम चुप थे लेकिन अब अपना मौन तोड़ते हुए क्रूर हत्यारों और उनकी समर्थक सत्ताओं को चेता रहे हैं कि अब अपने किन्हीं और साथियों को हम नहीं खोएंगे। 

इस विरोध प्रदर्शन में अभिव्यक्ति की आज़ादी और लोकतंत्र में विश्वास रखने वाले कई राजनीतिक दलों के लोगों के अतिरिक्त सन्दर्भ केन्द्र इंदौर, इप्टा, भारतीय महिला फेडरेशन, प्रगतिशील लेखक संघ, सीपीआई,सीपीआई(एम), जनवादी लेखक संघ, रूपांकन, एसयूसीआई(सी), भगत सिंह दीवाने ब्रिगेड, समाजवादी पार्टी, आम आदमी पार्टी, सामाजिक कार्यकर्ता एवं कलाकारों के संगठन और शहर के अनेक शांति एवं न्यायप्रिय तथा संवेदनशील नागरिक शरीक हुए।

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