गुरुवार, 13 जनवरी 2011

जन्मना

जन्मना सवर्ण बुजुर्ग ने जन्मना दलित बुद्धिजीवी से कहा -गांधी,तत्कालीन भारत के सच्चे और सबसे बड़े नेता थे.पर उनकी राजनीति जिस त्याग और सत्यनिष्ठा पर आधारित थी उसकी कद्र करनेवाला समय अब नहीं रहा. दुर्भाग्य से आनेवाला समय उन्हें राजनीतिक संत के रूप में ही श्रद्धा से देखेगा.लेकिन अंबेडकर भविष्य के नेता हैं.क्योंकि वंचितों को अभी उनकी ज़रूरत है,उन्हें आगे आना है.वे धीरे धीरे जाग रहे हैं, उठ रहे हैं.अंबेडकर का चिंतन आवश्यकता के अनुरूप अग्रगामी है..आने वाला समय अंबेडकर का है

यह सुनकर जन्मना दलित बुद्धिजीवी असहमत हो गए-गांधी के प्रति आपका सोच अपेक्षा के अनुरूप है पर आपके अंबेडकर के प्रति इस सम्मान से ब्राह्मणवाद की बू आती है.यह मूलत: सवर्ण मानसिकता से प्रेरित है.जिसका आधार होता है सायास महिमामंडन.इस भविष्यवादी महिमामंडन से यथास्थितिवादी तर्क पैदा होता है कि यह अंबेडकर का समय नहीं है वह भविष्य में आएगा.अंबेडकर गांधी के ही समय में उनसे बड़े नेता थे.हम भविष्य नहीं वर्तमान चाहते हैं.

कैसे? जन्मना सवर्ण बुजुर्ग चौंक गए.

क्योंकि आप जन्म से सवर्ण हैं.सवर्णों के भीतर से जीवन भर जाति की ही ग्रंथि नहीं जा पाती.वे हमेशा से भिखारी के वेश में दाता रहे हैं.गांधी की तुलना में अंबेडकर को सदैव एक छवि देने की कोशिश में देखे गए हैं.ऐसी छवि जिसे दोयम की भूमिका के साथ निर्मित किया जाता है.भविष्य आदि के अमूर्तन सवर्ण मानसिकता के बुर्ज हैं.जहाँ अंबेडकर को भी क़ैद कर देने की साजिशें नव दलित चेतना अब खूब समझती हैं.हम मँहगे त्याग,अहिंसा को तब तक बड़ा मूल्य नहीं मान सकते जब तक अपने सारे वाजिब हक़ पा नहीं लेते.इसकी मोटी समझ तो आपको अंबेडकर और गांधी के पहनावे से ही आ जानी चाहिए थी.दलित उभार को स्थगित रखने की महिमामंडन की नींव पर बनी समर्थन की पू्र्वपीठिका हम उखाड़ फेंकेंगे.जन्मना दलित बुद्धिजीवी ने तैश में आकर कहा

आप इतने समझदार हैं तो यह भी जानते ही होंगे कि अंबेडकर के गुरु भी सवर्ण थे.आज बहुत से अंबेडकरवादी भी सवर्ण हैं.तो क्या आप इससे भी लड़ेंगे?जन्मना सवर्ण बुजुर्ग ने जैसे पत्थर से सिर बचाने के लिए ऐतिहासिक,सामयिक तथ्य की ओट ली

जन्मना दलित विमर्शकार ने ज़ोर देकर कहा-अंबेडकर ने मेरे जानते यही एक बड़ी ग़लती की.यह ग़लती भी नहीं एक मजबूर ऐतिहासिक स्थिति है.सवर्ण अंबेडकरवादी काफ़ी नुकसान पहुँचा रहे हैं.लेकिन आप चिंता न कीजिए हम इस पाखंड को भी नहीं चलने देंगे.

जन्मना सवर्ण बुजुर्ग परेशान हो गए-बड़ी मुश्किल है,मैं तो यह भी नहीं कह सकता कि आप जन्म से दलित ठहरे.बड़बड़ाते हुए अंबेडकर चौराहे से अटल द्वार की ओर मुड़ गए.आपका ज़माना गया,मिसालें नहीं यथार्थ जीतेगा सोचते जन्मना दलित बुद्धिजीवी बहन जी निवास की तरफ़ जानेवाली सड़क पर बढ़ गए.