tag:blogger.com,1999:blog-2045573955105854407.post4690923278057001922..comments2023-09-24T21:35:51.274+05:30Comments on हमारी आवाज़: मेरी ज़िदशशिभूषणhttp://www.blogger.com/profile/15611262078016168965noreply@blogger.comBlogger12125tag:blogger.com,1999:blog-2045573955105854407.post-34203678256068583282021-06-10T10:41:50.131+05:302021-06-10T10:41:50.131+05:30दिलचस्प संस्मरण! 🙏दिलचस्प संस्मरण! 🙏सीमांकन यादवhttps://www.blogger.com/profile/17764940339897783831noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2045573955105854407.post-28641919263661842552010-01-29T23:14:28.268+05:302010-01-29T23:14:28.268+05:30शशि व्यक्तिगत से मेरा आशय सिर्फ इतना ही है कि ब्ला...शशि व्यक्तिगत से मेरा आशय सिर्फ इतना ही है कि ब्लाग जगत में ऐसे अनेक लोग हैं जो जो आशीष के अकादममिक परिचय और उनकी सृजनात्मक उपलबिधयों पर केंद्रित जानकारी पाना चाहेंगे। प्रेम में मेरी आस्था अभी इतनी तो बची ही है कि जिस लड़की से प्यार किया उसी से शादी को उपलबघि के तौर पर उल्लिखित किया जाना पसंद नहीं मुझे।संदीप कुमारhttps://www.blogger.com/profile/01263206934797267503noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2045573955105854407.post-4817906295434227962010-01-29T15:47:41.164+05:302010-01-29T15:47:41.164+05:30श्रीकांत जी,आपकी बातों से बहुत अच्छा लगा.रामाज्ञा ...श्रीकांत जी,आपकी बातों से बहुत अच्छा लगा.रामाज्ञा जी को मैं पढ़ता रहता हूँ.अभी ताज़ा बया में उनकी अच्छी कविताएँ हैं.मैंने उनको फ़ोन भी किया पर किसी वजह से बातें नहीं हो पाईं.कायल मैं आपका भी हूँ चंदन के यहाँ पढ़ा है.आप नियमित करेंगे यही चाहता हूँ आपसे.<br />रंगनाथ जी ने कहा तो ध्यान गया बात तो सही है पर हम कितनी जल्दी परंपरा में चले जाते हैं फिर वहाँ से निकल आना चाहते हैं.मेरे लिए यह जानना बहुत अहम होता है कि कोई शख्सियत स्मृति में कैसी है.कई बार बहुत अच्छा लगता है जब कोई श्रद्धेय स्मृति में बेलौस और बिंदास दिखाई देता है.मैंने आशीष जी को ऐसे ही जाना.उनका किताबी परिचय मुझे पता ही नहीं.सचमुच उनके बायोडाटा में मेरी उतनी रुचि कभी नहीं रही जितनी उनमें है.स्कूल मास्टर हूँ कक्षाओं में साहित्यकारों का जीवन परिचय रटाते हुए थका भी होता हूँ.सो संदीप से भी कहूँगा इस छोटी सी जिंदगी में क्या व्यक्तिगत यार...<br />मुझे सचमुच खुशी हो रही है कि इस पोस्ट में इतने अच्छे अच्छे लोंगों ने रुचि दिखाई.शशिभूषणhttp://www.hamariaavaaz.blogspot.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2045573955105854407.post-66306121556111059662010-01-29T12:41:15.305+05:302010-01-29T12:41:15.305+05:30परिचय के प्रवाह में कविता पर बात गौड़ हो गयी है. ल...परिचय के प्रवाह में कविता पर बात गौड़ हो गयी है. लेकिन कुछ वजहों से मैं भी धारा के समानांतर ही बहना चाहूंगा, इस बात के साथ कि शानदार कविता के लिए सर को (किस्मत से मैं इन्हें सर कहने वाली प्रजाति से बावस्ता हूँ.) बधाई!!!<br /><br />आशीष सर को मैं बहुत सारे दूसरे लोगों से ज्यादा जानता हूँ, ऐसा दावा कर सकने के बावजूद, इस परिचय से कुछ और जानने को मिला. इनके अच्छे अध्यापक होने की शिरीष भैया की बात पर बता दूं, कि ये पहले ऐसे सख्स हैं जिन्हें मैं अपना गुरु मानता हूँ, और इनसे कक्षा की दीवारों से लेकर बी एच यू की सड़कों, चाय की दुकानों और बनारस की गलियों तक में कुछ न कुछ सीखता रहा हूँ. अगर कोई ढंग की सोच रखता हूँ, तो उसके एक अहम् हिस्से पर इन्हीं की कशीदेकारी है. बदकिस्मती से अभी उस अकादमिक माहौल से बाहर हूँ जिसमे चाहे अनचाहे उनसे और भी बहुत कुछ सीखता, लेकिन आज भी इन्हें फ़ोन करके वक़्त बेवक्त परेशान करता रहता हूँ. मैं अपने विश्वविद्यालयीय दिनों से बहुत गहरे से जुड़ा हूँ, और वहाँ की बेशुमार यादों में आशीष सर, बहुत जगह और बहुत ज्यादा मौजूद हैं.<br /><br />शशिभूषण जी, आपको सलाह है (और गुज़ारिश भी) कि आप कुछ रचनाएँ बी एच यू के ही, और मेरे एक और गुरु रामाज्ञा "शशिधर" सर से मांगिये और प्रकाशित करिए, मैं उनकी रचनात्मकता का कायल हूँ और यकीनन, दूसरे भी हो ही जाएंगे.<br /><br />श्रीकांतShrikant Dubeyhttps://www.blogger.com/profile/01513859980174577373noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2045573955105854407.post-71352375369925526282010-01-29T00:04:00.206+05:302010-01-29T00:04:00.206+05:30कविता ठीक है। आपका परिचय थोड़ा अटपटा है। हिन्दी में...कविता ठीक है। आपका परिचय थोड़ा अटपटा है। हिन्दी में इस नितांत नए तरीके से परिचय लिखने की पंरपरा जड़ पकड़ती जा रही है। आशीष त्रिपाठी और कृष्णमोहन जैसे लोग बीएचयू के हिन्दी विभाग की गरिमा को फिर से स्थापित कर सकेंगे इसकी हमें उम्मीद है। बशर्ते हिन्दी विभागों और हिन्दी जगत की कुख्यात राजनीति इन्हें खा न जाए।Rangnath Singhhttps://www.blogger.com/profile/01610478806395347189noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2045573955105854407.post-82035063946732350552010-01-28T17:16:45.832+05:302010-01-28T17:16:45.832+05:30आशीष को इस जबरदस्त जिद के लिए बधाई। और पढ़वाने के ...आशीष को इस जबरदस्त जिद के लिए बधाई। और पढ़वाने के लिए आपको धन्यवाद। <br />परिचय में इतना और जोड़ दूं कि आशीष ने मुझे इंदौर में अपनी शादी का जो निमंत्रण-पत्र भेजा था, वह भी कविता में ही था।Arun Adityahttps://www.blogger.com/profile/11120845910831679889noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2045573955105854407.post-15909087904457855092010-01-28T06:17:03.225+05:302010-01-28T06:17:03.225+05:30आशीष त्रिपाठी जी...जानना और रचना दोनों आनन्ददायी र...आशीष त्रिपाठी जी...जानना और रचना दोनों आनन्ददायी रहा.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2045573955105854407.post-21957366375859247022010-01-28T02:40:33.942+05:302010-01-28T02:40:33.942+05:30शशि इस कविता में अनेक पढ़ी हुई कविताओं की झलक मिलत...शशि इस कविता में अनेक पढ़ी हुई कविताओं की झलक मिलती है। आश्ीष जी से मैं भी पहली बार शैलेश और मुकुल के साथ ही मिला था। उस संक्षिप्त मुलाकत के बाद हमारी दो तीन मुलाकातें और हुईं और उन्होंने मुझे हर बार नाम लेकर पुकारा। मैं उस दौरान लगभग अभीभूत रहता था कोई इतनी जबरदस्त मेमोरी कैसे रख सकता है। बाद में मैंने यह गुण कई और लोगों में पार्या यह पर्सनालिटी मैनेजमेंट का अच्छा हथियार है एक बात और परिचय थोड़ा ज्यादा व्यक्तिगत हो गया है।संदीप कुमारhttps://www.blogger.com/profile/01263206934797267503noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2045573955105854407.post-30982838084139324622010-01-27T23:19:56.488+05:302010-01-27T23:19:56.488+05:30aap ka likhne ka tarika wakai kabile tarif hai. au...aap ka likhne ka tarika wakai kabile tarif hai. aur jaha tak reewa ke bat hai wakai bahut hi nirali jagah hai. 2- 3 bar waha jane ka mauka mila madhya pradesh ke is baghel khand ke mitti ke khusboo ke bat hi alag hai.vivekhttps://www.blogger.com/profile/00650860658406818938noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2045573955105854407.post-71163423736080892802010-01-27T22:51:16.393+05:302010-01-27T22:51:16.393+05:30प्रिय शशि,
यह पोस्ट बहुत अच्छी है. श्रद्धेय नामवर...प्रिय शशि,<br /><br />यह पोस्ट बहुत अच्छी है. श्रद्धेय नामवर जी का साक्षात्कार लेने या आदरणीय काशीनाथ जी का प्रिय होने से कहीं आगे हैं आशीष त्रिपाठी. निश्चित रूप से वे एक कुशल अध्यापक होंगे. वे अत्यंत समर्थ कवि हैं और हमारे समय के अद्भुत कवि चंद्रकांत देवताले पर उनका मूल्यांकन पढ़ कर मैंने जाना कि उनकी समझ कितनी गहरी है. <br /><br />ऐसे बड़े भाई को मेरा सलाम.शिरीष कुमार मौर्यhttps://www.blogger.com/profile/05256525732884716039noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2045573955105854407.post-89717916398167495662010-01-27T22:28:12.884+05:302010-01-27T22:28:12.884+05:30Reewa sirf ek baar gaya hun bachpan me. Raja marta...Reewa sirf ek baar gaya hun bachpan me. Raja martand Sing ka college, Govindgarh ka palace aur white tigers..aur door tak faila jungal. bas itanhi yaad hai. lekin Reewa aur vahan ke logon me kuch baat hai.rajivhttps://www.blogger.com/profile/10917588871855963207noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2045573955105854407.post-53022872776939571992010-01-27T22:04:31.936+05:302010-01-27T22:04:31.936+05:30भाई शशि भूषण जी बहुत ही बढिया परिचय और उससे भी बढि...भाई शशि भूषण जी बहुत ही बढिया परिचय और उससे भी बढिया आशीष जी की छन्द मुक्त कविता.Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/13199219119636372821noreply@blogger.com