tag:blogger.com,1999:blog-2045573955105854407.post1914371925625940138..comments2023-09-24T21:35:51.274+05:30Comments on हमारी आवाज़: असावधान भाषा की सांस्कृतिक ठेसशशिभूषणhttp://www.blogger.com/profile/15611262078016168965noreply@blogger.comBlogger8125tag:blogger.com,1999:blog-2045573955105854407.post-52649995953122217132010-08-07T22:35:09.260+05:302010-08-07T22:35:09.260+05:30ये सब परिणाम है इसका कि हमने साहित्य को खानों में ...ये सब परिणाम है इसका कि हमने साहित्य को खानों में बांट कर रख दिया। जब शिष्टाचारा समाज से गायब हो चुका हो तो साहित्य में कैसे दिखाई दे।<br />वी0एन0राय जी के साथ-साथ दोष तो ज्ञानोदय के संपादक का भी है। क्या साहित्य के दिन इतने खराब आ गये हैं कि उसे, जिनका कि वह आज तक विरोध करता आ रहा था, उन्हीं बाजारवादी “ाक्तियों से संचालित होने को विवश होना पड़े। अच्छा हो रवीन्द्र कालिया जी इन्द्रसभा जैसी वयस्क पत्रिका के संपादक हो जायें।संजीव गौतमhttps://www.blogger.com/profile/00532701630756687682noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2045573955105854407.post-16340764005197707422010-08-07T22:33:15.870+05:302010-08-07T22:33:15.870+05:30श्रीमान भुवन जी ! आपने कहाँ से पढ़ लिया कि मै उनकी...श्रीमान भुवन जी ! आपने कहाँ से पढ़ लिया कि मै उनकी वकालत कर रही हूँ ? कटाक्ष का तो प्रश्न ही नहीं है ..... । अब आपकी समझ इतनी ही है ,तो मै क्या कहूँ ? और हाँ मेरी कविताओं की बात लाने की यहाँ जरूरत तो नहीं थी पर अब आप अपने महान समझ के बूते ले ही आए हैं तो मै सिर्फ आपका आभार व्यक्त कर सकती हूँ बस....। और हाँ ! इस तरह छुपकर लिखना ठीक नहीं ।सुशीला पुरीhttps://www.blogger.com/profile/18122925656609079793noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2045573955105854407.post-16481043117672312172010-08-07T18:31:00.042+05:302010-08-07T18:31:00.042+05:30विभूति नारायण राय को कौन मेहनत की कमाई खानी है, I...विभूति नारायण राय को कौन मेहनत की कमाई खानी है, IPS हैं और डंडे की जुबान ही बोल समझ सकते हैं. उन्हें साहित्य में थानेदारी करने की ज़ुरूरत नहीं हैanwar suhailhttps://www.blogger.com/profile/13015716685188323154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2045573955105854407.post-57066314305103228742010-08-07T11:32:38.030+05:302010-08-07T11:32:38.030+05:30@सुशीला पुरी
क्या बात है, आप घूम-घूम कर विभूति ना...@सुशीला पुरी<br /><br />क्या बात है, आप घूम-घूम कर विभूति नारायण की पैरवी कर रहीं हैं। जो लोग उनके विरोध में लिख रहे हैं उन पर आप प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष ढंग से कटाक्ष कर रही हैं। जो चतुराई से उन्हें बचा रहे हैं उनका आप मुखर समर्थन कर रही हैं। किशोर-सुलभ कच्ची भावुकता भरी कविताएं लिखने वाली नारी का यह रूप देखना विस्मयकारी रहा।<br /><br />"प्रभु' की हेट्रोसेक्सुअलिटी का हश्र तो आप देख ही रही हैं ! अब आप इस आदमी की समझ का अंदाजा लगाइए और सर पीटिए।Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/03290154108570236966noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2045573955105854407.post-31242981993949738792010-08-07T01:23:18.135+05:302010-08-07T01:23:18.135+05:30Heterosexuality "यौन सम्बन्धो की बहुलता"...Heterosexuality "यौन सम्बन्धो की बहुलता" नही होती. Heterosexuality विपरीत लिंग के प्रति सहज आकर्षण को कहते है.Satya Prakashhttps://www.blogger.com/profile/14663113468375045681noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2045573955105854407.post-68544682232842880452010-08-07T01:08:02.929+05:302010-08-07T01:08:02.929+05:30प्रभु जोशी जब तुम्हे Heterosexuality की Meaning नह...प्रभु जोशी जब तुम्हे Heterosexuality की Meaning नही मालूम फ़िर तुम्हारी बाकी बकवाद पे कुछ भी नही कहना चाहता. तुम्हारे जैसो ने ही हिन्दी की ये दुर्गती की है. विभूति नारायण के बचाव मे तुम जिस तरह उतरे हो वह तुम्हारे चरित्र को उजागर करता है.यदि तुम शेयर दलाली का काम करते तो ज़्यादा बेहतर होता.<br /><br />Heterosexuality = romantic attractions to persons of the opposite sexSatya Prakashhttps://www.blogger.com/profile/14663113468375045681noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2045573955105854407.post-65629329920010357372010-08-06T22:44:00.760+05:302010-08-06T22:44:00.760+05:30प्रभु जोशी जी ! आपने कितने विराट फ़लक पर इस मुद्द...प्रभु जोशी जी ! आपने कितने विराट फ़लक पर इस मुद्दे को समझने की कोशिश की है!!! .... भाषा का संस्कार निश्चित रूप से होता है और एक लेखक को तो बहुत जरूरी रूप से इसे ध्यान मे रखना चाहिए । इस सांस्कृतिक घसड़ फसड़ मे बिभूति जी को क्षमा दान पर विचार करना चाहिए ,गलती करने का अधिकार एक बार तो सहन है .... ।सुशीला पुरीhttps://www.blogger.com/profile/18122925656609079793noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2045573955105854407.post-16602498115291068322010-08-06T22:24:11.079+05:302010-08-06T22:24:11.079+05:30उक्त लेख (४ अगस्त) को यहाँ भी देखें -
http://stree...उक्त लेख (४ अगस्त) को यहाँ भी देखें -<br />http://streevimarsh.blogspot.com/2010/08/blog-post_05.htmlKavita Vachaknaveehttps://www.blogger.com/profile/02037762229926074760noreply@blogger.com