tag:blogger.com,1999:blog-2045573955105854407.post7515934985687920137..comments2023-09-24T21:35:51.274+05:30Comments on हमारी आवाज़: असफल साहित्यिक महत्वाकांक्षा की सैद्धांतिक मुनादीशशिभूषणhttp://www.blogger.com/profile/15611262078016168965noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-2045573955105854407.post-36782605428403691942012-05-31T07:20:35.680+05:302012-05-31T07:20:35.680+05:30शशी भूषण जी ...सत्य को कितना सहज और सरल कहा है आप...शशी भूषण जी ...सत्य को कितना सहज और सरल कहा है आपने ......मगर सुर्ख़ियों और शुहरत की अथाह चाह रखने वाले इस सदी में तो नहीं सुधरेंगे .....इस पूरे प्रकरण को जहाँ तक मैंने समझा है ...गौरव सोलंकी जैसे लोगों का एक कु-साहित्यिक गैंग है ..ये लोग एक-दूसरे की पीठ खुजाते रहते है ......साहित्य की परिभाषा इनके लिए सिर्फ़ सनसनी है ...मेरा एक दोहा है :---<br /><br /><br />अदब नहीं है सनसनी ,ना है ये अखबार !<br /><br />सदियों की तहज़ीब है, इसका बड़ा मयार !!<br /><br />जब गोरव सोलंकी को नवलेखन पुरस्कार की घोषणा की गई थी तब ज्ञानपीठ के लोग बहुत अच्छे थे ...और जब घटिया रचना छापने के लिए मना कर दिया तो बुरे हो गये !गोरव सोलंकी जैसे तथाकथित रचनाकार साहित्य की रिदा पे बेशर्मी का बदनुमा दाग़ है !<br /><br />शशी जी इन लोगों की मुखालफ़त होनी चाहिए ! गौरव सोलंकी जैसे किरदार के लोग मानसिक रूप से बीमार है और इनका इलाज़ बहुत ज़रूरी है ..<br /><br /><br /><br /><br /><br />अफ़सानों में गन्दगी ,ज़हन हुए बीमार !<br /><br /><br /><br />ऐसे लोगों का हमे ,करना है उपचार !!<br /><br /><br /><br />शशि जी अदब के हर मुहाफ़िज़ का फ़र्ज़ है कि साहित्य को दीमक की तरह चाट कर नष्ट करने वाले इन फोटो-स्टेट अदीबों की पुरज़ोर खिलाफत करे ....और इश्वर इन जानबूझ कर राह भटके लोगों को सद बुद्धि दे........आमीन <br /><br />विजेंद्र शर्माvijendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/12853139040785293151noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2045573955105854407.post-12077117952908971462012-05-20T07:30:41.040+05:302012-05-20T07:30:41.040+05:30हमनें ये एक टिप्पणी गौरव के "India Against Co...हमनें ये एक टिप्पणी गौरव के "India Against Corruption in Literature" Facebook community पर भेजी थी पर उन्होंने अप्रूव नहीं की। नीचे दिया लिंक उस टिप्पणी की PDF कॉपी है।<br /><br /><a href="https://sites.google.com/site/akshapadp/gaurav.pdf" rel="nofollow">patra</a><br /><br />आशा है प्रबुद्ध जन इसे पढ़्कर राय बनाएंगे।Akshapad Panthttps://www.blogger.com/profile/05897831054245953830noreply@blogger.com