शुक्रवार, 3 जुलाई 2015

सुधारक



वे बहुत गुस्से में थे।
स्कूल में नहीं पढ़ाये जाने और अत्यधिक होमवर्क दिए जाने से तंग थे।
मैंने कहा "बेटी के कक्षाध्यापक और प्राचार्य का नाम बताएं तो कुछ किया जाये।"
वे बोले "मैं घर पहुंचकर वाट्सअप पर दोनों के फ़ोटो भेजता हूँ आप जरुर कुछ कीजिए।"
"अभी बता देते तो मैं नोट कर लेता मेरे पास स्मार्टफोन नहीं है।"
"कोई बात नहीं मैं कॉल करूँगा।" उन्होंने कहा।
मैं उन्हें तेज़ी से जाते देखता रहा।
मुझे बाय का जवाब ढंग से नहीं आता।

-शशिभूषण

धरती ने घूम लिया आषाढ़


बेटी को मां पालती आयी
पिता बेटी को बढ़ता देखता आया
बेटी का साथ पिता के नसीब में नहीं था
पिता को बेटी के साथ खिलखिलाना था
मगर वह मौके पर फफक पड़ता आया

पिता के हाथों बेटियां बड़ी हो रही हैं
मां से हजारों मील दूर पढ़ रही हैं
बेटियों का दिल मां जितना बड़ा है
कंधे पिता जितने मज़बूत

अब बेटियां
पिता के साथ चलती हैं
जड़ें गहरी हो रहीं
फलों में भर रहा स्वाद


-शशिभूषण